गंभीर विषय: पूरी बात | SatyAcademy Exclusive
“जब पढ़े-लिखे युवाओं को चाय या डिलीवरी की नौकरी करनी पड़े, तो समझ लीजिए समस्या नहीं, संकट है!”
भूमिका: बेरोज़गारी – एक खतरनाक ख़ामोशी
भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या वाला देश है। लेकिन जब वही युवा डिग्री लेकर दर-दर भटकता है, तो सवाल उठता है — क्या ये सिर्फ व्यक्तिगत परेशानी है या राष्ट्र की सबसे बड़ी विफलता?
बेरोज़गारी अब सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि परिवार, समाज और अर्थव्यवस्था की बुनियाद हिला रही है।
बेरोज़गारी के प्रमुख कारण – सिर्फ पढ़ाई या नीति की कमी?
1. डिग्री बनाम स्किल (कौशल)
आज के युवाओं के पास डिग्रियाँ तो हैं, लेकिन वे उद्योगों की ज़रूरत के अनुसार प्रशिक्षित नहीं हैं।
इंजीनियरिंग, MBA, LLB जैसी डिग्रियाँ रखने वाले भी बेरोज़गार हैं क्योंकि skill gap बहुत बड़ा है।
2. सरकारी नौकरियों की सीमित संख्या
हर साल लाखों आवेदन होते हैं, लेकिन सरकारी पदों की संख्या हजारों में सिमटी हुई है। परीक्षा, रिजल्ट, नियुक्ति सब मिलाकर 2-3 साल लग जाते हैं — तब तक उम्र निकल जाती है।
3. Private Sector में छंटनी और अस्थायी नौकरियाँ
कोरोना के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियों ने भी cost-cutting के नाम पर लाखों नौकरियाँ खत्म कीं।
और जो नौकरियाँ हैं, वे भी contractual या कम वेतन वाली हैं।
4. Automation और AI का बढ़ता प्रभाव
जैसे-जैसे मशीनें और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बढ़ रही हैं, इंसानों की ज़रूरत कम हो रही है — काम तो है, पर इंसान के लिए नहीं।
भारत में बेरोज़गारी के चौंकाने वाले आँकड़े (2024–25)
- ग्रेजुएट बेरोज़गारी दर: 17.2% (शहरी क्षेत्रों में)
- कुल बेरोज़गारी दर: लगभग 8.1% (CMIE डेटा)
- युवा (20–29 वर्ष) बेरोज़गारी: 20% से भी अधिक
- एक्सपीरियंस होने के बाद भी बेरोज़गार लोग: बढ़ती संख्या
युवाओं पर मानसिक प्रभाव
- आत्मविश्वास की कमी
- डिप्रेशन और एंग्ज़ायटी
- सामाजिक दबाव और हताशा
- आत्महत्या जैसे कदम (जो कई रिपोर्ट्स में सामने आए)
सरकार की योजनाएँ – समाधान या दिखावा?
1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)
कौशल देने की योजना, लेकिन Placement ratio बेहद कम है।
2. Startup India / Stand-up India
नया बिजनेस शुरू करने का प्रयास बढ़ा, लेकिन ज़्यादातर युवाओं के पास पूंजी और मार्गदर्शन की कमी है।
3. Make in India / Digital India
इन अभियानों का उद्देश्य नौकरी बढ़ाना था, लेकिन ज़मीनी असर उतना नहीं हुआ जितना प्रचार हुआ।
समाधान की राह – सिर्फ सरकार नहीं, समाज भी ज़िम्मेदार
- ✅ स्कूल से ही स्किल बेस्ड शिक्षा शुरू होनी चाहिए
- ✅ युवाओं को ऑनलाइन earning, freelancing, tech skills की ओर मोड़ा जाए
- ✅ लोकल entrepreneurship को बढ़ावा मिले
- ✅ नीति-निर्माता, समाज और परिवार को मिलकर मनोबल टूटने से पहले सहायता करनी चाहिए
निष्कर्ष: क्या यह एक आपातकाल है?
हां।
अगर करोड़ों युवाओं के हाथ खाली हैं, सपने टूट रहे हैं, तो यह सिर्फ बेरोज़गारी नहीं — यह राष्ट्रीय संकट (National Emergency) है।
यह समय है जागरूक होने का, सीखने का, लड़ने का और उठ खड़े होने का।
🗣️ आपका विचार क्या है?
क्या आपको लगता है कि भारत में बेरोज़गारी वाकई राष्ट्रीय आपातकाल जैसी स्थिति बन चुकी है?
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