प्रस्तावना
15 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इतिहास रचा—उन्होंने लाल किले से लगातार 12वां स्वतंत्रता दिवस भाषण दिया और इस तरह इंदिरा गांधी के लगातार भाषणों के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। यह उपलब्धि सतत नेतृत्व, जन-समर्थन और नीतिगत निरंतरता का प्रतीक मानी जा रही है।
इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड बनाम मोदी की उपलब्धि
- इंदिरा गांधी ने कुल 16 स्वतंत्रता दिवस भाषण दिए—जिनमें 11 लगातार थे।
- नरेंद्र मोदी ने 2014 से 2025 तक हर वर्ष 15 अगस्त को देश को संबोधित किया—यानी 12 लगातार भाषण।
- यह सिलसिला केवल एक राजनीतिक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि नीति निरंतरता और दीर्घकालिक विज़न का संकेत भी है।
क्यों यह रिकॉर्ड महत्वपूर्ण है?
- स्थिर नेतृत्व का संदेश: एक ही नेता द्वारा लगातार 12 बार राष्ट्र को संबोधित करना नीतियों की निरंतरता और प्रशासनिक मजबूती दिखाता है।
- एजेंडा की निरंतरता: आत्मनिर्भरता, नवाचार, युवाशक्ति, और 2047 तक विकसित भारत—ये थीम हर साल और परिपक्व होकर सामने आए।
- राष्ट्रीय मनोबल: कठिन समय—महामारी, सीमा सुरक्षा, वैश्विक अर्थव्यवस्था—के बीच नियमित संबोधन जनता में भरोसा जगाते रहे।

मोदी, नेहरू और इंदिरा—एक त्वरित तुलना
प्रधानमंत्री | कुल भाषण (15 अगस्त) | लगातार भाषण | उल्लेखनीय विशेषता |
---|---|---|---|
जवाहरलाल नेहरू | 17 | 17 | स्वतंत्र भारत की दिशा तय की |
इंदिरा गांधी | 16 | 11 | सुरक्षा व आत्मनिर्भरता पर जोर |
नरेंद्र मोदी | 12 (2025 तक) | 12 | आत्मनिर्भरता/विकसित भारत विज़न |
2025 भाषण की मुख्य बातें (हाइलाइट्स)
- राष्ट्रीय सुरक्षा व Operation Sindoor के वीरों को विशेष सम्मान।
- आत्मनिर्भरता और ‘नया भारत’: मेक इन इंडिया, स्टार्टअप, और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन गवर्नेंस पर बल।
- युवाओं और महिलाओं की भागीदारी: स्किल, इनोवेशन और महिला नेतृत्व पर विशेष फोकस।
- समावेशी विकास: गांव-गांव डिजिटल/भौतिक कनेक्टिविटी, हर वर्ग की भागीदारी।
इतिहास और संदर्भ
स्वतंत्रता दिवस के भाषण केवल औपचारिकता नहीं—यह देश की आर्थिक, सामाजिक और सामरिक दिशा तय करने का वार्षिक मंच है। किसी भी प्रधानमंत्री के लिए लगातार कई वर्षों तक यह संबोधन देना राजनीतिक स्थिरता, जनादेश और कार्ययोजना पर जनता के विश्वास का प्रमाण है।
आलोचनात्मक नज़र
- समर्थन का तर्क: दीर्घकालिक योजनाएँ (इन्फ्रा, डिफेंस, डिजिटल) निरंतरता से बेहतर परिणाम देती हैं—लगातार भाषण उस निरंतरता का संकेत हैं।
- सवाल भी उठते हैं: रिकॉर्ड तभी अर्थपूर्ण बनता है जब धरातल पर डिलीवरी हो—रोज़गार, स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा जैसे सूचकांकों पर निरंतर सुधार अपेक्षित है।
- निष्कर्ष: रिकॉर्ड महत्वपूर्ण है, पर वास्तविक मायने देशवासियों के जीवन-स्तर में सुधार से तय होंगे।
निष्कर्ष
12 लगातार स्वतंत्रता दिवस भाषण भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक उल्लेखनीय पड़ाव है। यह उपलब्धि नेतृत्व की स्थिरता, विज़न और जवाबदेही की परीक्षा भी है। आगे का दशक यह तय करेगा कि “नया/विकसित भारत” का स्वप्न किस गति से साकार होता है।
पाठकों से अनुरोध
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