- “अमेरिका की नई 50% टैरिफ नीति: क्या भारत–रूस दोस्ती को रोक सकती है?”
1. परिचय
हाल ही में अमेरिका ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम रूस से भारत की बढ़ती दोस्ती के जवाब में लिया गया है। इस फैसले से भारत‑अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर बड़ा असर पड़ सकता है।
2. क्या हुआ — Tariff Order का विवरण
6 अगस्त 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक नया आदेश जारी किया, जिसमें भारत से आयातित सामानों पर पहले से लागू 25% टैरिफ में अतिरिक्त 25% और जोड़ दिया गया। यानी अब कुल 50% आयात शुल्क भारत के उत्पादों पर लगेगा। यह आदेश 27 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा।
3. कारण — क्यों इतनी सख्ती?
अमेरिकी सरकार का कहना है कि भारत रूस से सस्ते दरों पर तेल खरीद रहा है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से रूस की अर्थव्यवस्था को सहयोग मिल रहा है। अमेरिका इसे अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है और चाहता है कि भारत रूस से दूरी बनाए। इसी दबाव में यह अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है।
4. India–Russia रणनीतिक रिश्ता
भारत और रूस दशकों से रणनीतिक साझेदार रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में S-400 मिसाइल सिस्टम, फाइटर जेट्स, परमाणु ऊर्जा जैसे कई समझौते दोनों देशों के बीच हुए हैं। इसके अलावा रूस भारत को डिस्काउंट पर कच्चा तेल और उर्वरक भी उपलब्ध कराता रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार 2022–23 में 13 अरब डॉलर से बढ़कर 27 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
5. भारत की प्रतिक्रिया: स्पष्ट और दृढ़
भारत सरकार ने इस अमेरिकी निर्णय को “अनुचित, पक्षपातपूर्ण और अस्वीकार्य” करार दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखेगा। साथ ही, भारत ने कहा कि उसकी विदेश नीति “रणनीतिक स्वायत्तता” पर आधारित है।
6. व्यापार वार्ता किस वजह से टूट गई?
भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताएं अब ठप पड़ चुकी हैं। इसकी वजह है दोनों पक्षों के बीच असहमतियां और पारदर्शिता की कमी। जहां भारत न्यूनतम टैरिफ चाहता था, वहीं अमेरिका कड़े कदमों पर अड़ा रहा। इससे संभावित $500 बिलियन के व्यापार लक्ष्य पर भी संकट खड़ा हो गया है।
7. संभावित प्रभाव और अनुमान
- भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्र जैसे फार्मा, ऑटोमोबाइल, मशीनरी आदि पर बुरा असर पड़ेगा।
- GDP पर 0.2% तक की गिरावट की आशंका जताई जा रही है।
- स्टील जैसे क्षेत्रों में नए ऑर्डर पर अनिश्चितता का माहौल है।
- MSME सेक्टर को भी अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर में कठिनाई हो सकती है।
8. निष्कर्ष – भारत का रणनीतिक विकल्प
यह विवाद केवल व्यापार का नहीं, बल्कि कूटनीतिक संतुलन का भी है। भारत एक तरफ अमेरिका के साथ वैश्विक साझेदारी चाहता है, तो दूसरी ओर रूस के साथ पुरानी मित्रता भी निभा रहा है। फिलहाल भारत ने “रणनीतिक स्वायत्तता” की नीति को चुना है, जिससे उसकी ऊर्जा जरूरतें और भू-राजनीतिक लक्ष्य पूरे हो सकें। अब देखना होगा कि यह नीतिगत निर्णय आने वाले समय में क्या रूप लेता है।
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