“भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार – पूरी जानकारी हिंदी में | Fundamental Rights in Indian Constitution”

भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को कुछ विशेष अधिकार दिए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। ये अधिकार व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और गरिमा की रक्षा करते हैं। इस लेख में हम मौलिक अधिकारों के प्रकार, महत्व और उनके प्रयोग के बारे में विस्तार से जानेंगे।


  • अनुच्छेद 14 से 18 में वर्णित।
  • सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं।
  • जाति, धर्म, लिंग, जन्मस्थान आदि के आधार पर भेदभाव वर्जित है।

  • अनुच्छेद 19 से 22 में वर्णित।
  • बोलने की स्वतंत्रता, संघ बनाने का अधिकार, देश में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता।

  • अनुच्छेद 23 और 24 में वर्णित।
  • मानव तस्करी, जबरन श्रम और बाल श्रम पर रोक।

  • अनुच्छेद 25 से 28 में वर्णित।
  • किसी भी धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता।

  • अनुच्छेद 29 और 30 में वर्णित।
  • अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार।

  • अनुच्छेद 32 में वर्णित।
  • अगर मौलिक अधिकारों का हनन हो तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार।

  • नागरिकों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना।
  • लोकतंत्र की मजबूती के लिए आधार तैयार करना।

मौलिक अधिकार हर भारतीय नागरिक के लिए संविधान की ओर से दिया गया एक मजबूत सुरक्षा कवच है। इनका सही ज्ञान और प्रयोग समाज में न्याय और समानता बनाए रखने में मदद करता है।

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