📚 Legal Knowledge Series | By Advocate Satyendra Kumar Sharma
🔹 FIR क्या होती है?
FIR (First Information Report) यानी प्रथम सूचना रिपोर्ट – यह किसी अपराध की पुलिस को दी गई पहली सूचना होती है, जिसे लिखित रूप में दर्ज किया जाता है।
FIR दर्ज होने के बाद ही पुलिस जांच शुरू कर सकती है। इसे दर्ज करना हर नागरिक का कानूनी अधिकार है और पुलिस का कर्तव्य है कि वह इसे दर्ज करे।
📖 कानूनी संदर्भ:
FIR दर्ज करने का प्रावधान CrPC (Criminal Procedure Code), धारा 154 के अंतर्गत है।
🔹 FIR दर्ज कराने का अधिकार किसे है?
- जिस व्यक्ति के साथ अपराध हुआ है (Victim)
- जिसने अपराध होते देखा हो (Witness)
- या जिसे उस अपराध की जानकारी है (Informer)
✅ कोई भी व्यक्ति थाने जाकर या ऑनलाइन माध्यम से FIR दर्ज करा सकता है।
🔹 FIR दर्ज कराने की प्रक्रिया
- नजदीकी पुलिस स्टेशन जाएं (जिस क्षेत्र में अपराध हुआ है)
- घटना की पूरी जानकारी विस्तार से बताएं
- घटना कब, कहाँ, कैसे और किन लोगों ने की – यह स्पष्ट करें
- पुलिस अधिकारी FIR लिखेगा और आपको FIR की कॉपी मुफ्त में देनी होगी
- FIR पर आपका हस्ताक्षर लिया जाएगा
🛑 पुलिस FIR दर्ज करने से मना नहीं कर सकती, यदि मामला संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) का है।
संज्ञेय और असंज्ञेय अपराध में अंतर
प्रकार | संज्ञेय अपराध (Cognizable) | असंज्ञेय अपराध (Non-Cognizable) |
---|---|---|
परिभाषा | गंभीर अपराध | हल्के अपराध |
उदाहरण | हत्या, दुष्कर्म, चोरी | गाली-गलौज, झगड़ा |
पुलिस कार्रवाई | बिना कोर्ट आदेश के कार्रवाई संभव | कोर्ट की अनुमति जरूरी |
🔹 ऑनलाइन FIR कैसे दर्ज करें?
अब कई राज्यों में ऑनलाइन FIR दर्ज करने की सुविधा उपलब्ध है। उत्तर प्रदेश में आप नीचे दिए गए पोर्टल से FIR दर्ज कर सकते हैं:
🌐 Uttar Pradesh Online FIR Portal
स्टेप्स:
- पोर्टल पर जाएं
- Citizen Services → Online FIR विकल्प चुनें
- मोबाइल नंबर और OTP से लॉगिन करें
- घटना की पूरी जानकारी भरें
- सबमिट करते ही FIR की acknowledgment प्राप्त होगी
🔹 अगर पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करें?
यदि पुलिस आपकी शिकायत पर FIR दर्ज नहीं करती, तो:
- SP (Superintendent of Police) को लिखित शिकायत दें
- फिर भी कार्रवाई न हो, तो Magistrate के समक्ष धारा 156(3) CrPC के तहत आवेदन दे सकते हैं
- आप हाई कोर्ट में Writ Petition भी दाखिल कर सकते हैं
🔹 FIR लिखने का नमूना (Format)
plaintextCopyEditसेवा में,
थाना प्रभारी,
[थाने का नाम],
[जिले का नाम]
विषय: एफआईआर दर्ज करने हेतु प्रार्थना पत्र
महोदय,
मैं [आपका नाम], पुत्र/पुत्री [पिता/पति का नाम], निवासी [पूरा पता] आपसे निवेदन करता/करती हूँ कि दिनांक [तारीख] को [घटना का विवरण दें – कब, कहाँ, क्या हुआ, किसने किया]।
कृपया इस प्रकरण में उचित कानूनी कार्यवाही करें।
भवदीय,
[आपका नाम]
[मोबाइल नंबर]
[हस्ताक्षर]
🔹 क्या FIR वापस ली जा सकती है?
✔️ हां, लेकिन सिर्फ कोर्ट की अनुमति से।
सिविल मामलों या समझौता योग्य अपराधों में ही FIR को वापस लिया जा सकता है।
गंभीर अपराधों में FIR वापस लेने की अनुमति देना कोर्ट के विवेक पर निर्भर करता है।
निष्कर्ष
FIR दर्ज कराना हर नागरिक का अधिकार है और यह कानून की पहली सीढ़ी है। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति किसी अपराध का शिकार हुआ है, तो बिना डरे FIR दर्ज कराएं। कानून और प्रशासन आपकी सुरक्षा के लिए है।
🙏 पाठकों से अनुरोध
FIR को लेकर समाज में बहुत भ्रांतियाँ हैं। कृपया इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं।
🚨 यदि कभी अपराध का शिकार हों, तो FIR दर्ज कराना न भूलें।
कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह जानकारी कैसी लगी और अगला विषय किस पर हो।
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