भारत पर ट्रंप टैरिफ का असर: अमेरिकी नीति का क्या होगा प्रभाव?

हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अगर वे 2025 में सत्ता में लौटते हैं, तो वे चीन, भारत और अन्य देशों से आने वाले आयात पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाएंगे। इस नीति का सीधा असर भारत के व्यापार और अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है। आइए जानते हैं इस पूरे मुद्दे की गहराई से।


डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर “अमेरिका फर्स्ट” नीति को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि:

  • अमेरिका में आयात होने वाले सभी सामानों पर 10% यूनिवर्सल टैरिफ लगाया जाएगा।
  • चीन, भारत जैसे देशों से सस्ते उत्पाद आने से अमेरिका की इंडस्ट्री को नुकसान हो रहा है।
  • अमेरिकी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए विदेशी माल को महंगा करना जरूरी है।

भारत से अमेरिका को टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में बड़ा निर्यात होता है। टैरिफ बढ़ने से ये प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे और उनकी मांग घट सकती है।

भारत की आईटी कंपनियां अमेरिका में बड़ी सेवाएं देती हैं। यदि वीज़ा और सेवा शुल्क भी बढ़ते हैं तो इन कंपनियों को झटका लग सकता है।

यदि अमेरिका भारत को व्यापारिक रूप से जोखिम भरा मानने लगे तो निवेश भी घट सकता है।

निवेशक और व्यापारी दोनों के मन में अनिश्चितता बनी रहेगी, जिससे शेयर बाजार में भी गिरावट देखी जा सकती है।

ट्रंप प्रशासन ने 2018 से “ट्रेड वॉर” की शुरुआत की, विशेषकर चीन के खिलाफ। उनका मानना था कि अमेरिका का व्यापार घाटा अन्य देशों की अनुचित नीतियों की वजह से है।

तारीखलक्ष्य देशवस्तुटैरिफ (%)
मार्च 2018सभी देशस्टील और एल्युमिनियमस्टील पर 25%, एल्युमिनियम पर 10%
जुलाई 2018चीन818 उत्पादों पर25%
सितंबर 2018चीन$200 अरब के उत्पादों पर10% (बाद में 25%)
जून 2019भारतGSP (Generalized System of Preferences) से बाहर किया
दिसंबर 2019ब्राज़ील, अर्जेंटीनास्टील-एल्युमिनियम पर टैरिफ25%

ट्रंप भारत को एक बड़ा बाजार और रणनीतिक भागीदार मानते थे, लेकिन व्यापार को लेकर वे कड़े रहे।

  • “भारत टैरिफ किंग है” – ट्रंप ने कई बार भारत पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप लगाया।
  • 2019 में अमेरिका ने GSP (Generalized System of Preferences) में से भारत को बाहर कर दिया, जिससे भारत के 5.6 अरब डॉलर के उत्पादों पर शून्य टैरिफ समाप्त हो गया।
  • ट्रंप ने 2020 में भारत का दौरा किया (Namaste Trump Rally), जो दर्शाता है कि रणनीतिक रूप से वे भारत को महत्व देते थे।
  • फिर भी, वे चाहते थे कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ घटाए।

देशट्रंप की सोच / नीति
चीनसबसे बड़ा विरोधी, व्यापार युद्ध की शुरुआत
EU (यूरोप)कारों और टेक उत्पादों पर टैरिफ की धमकी
मेक्सिकोअवैध आव्रजन रोकने हेतु टैरिफ लगाने की चेतावनी
कनाडास्टील-एल्युमिनियम पर शुल्क
ब्राज़ील-अर्जेंटीनाकरेंसी डिवाल्यूएशन के कारण टैरिफ लगाया

ट्रंप की नीति में दोस्ती और व्यापार दो अलग विषय थे। उन्होंने साफ किया – “या तो हमारे नियमों से व्यापार करो, या तैयार रहो शुल्क के लिए।”

  • अमेरिका में कुछ क्षेत्रों में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिला
  • व्यापार घाटा कुछ हद तक कम हुआ
  • वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ी
  • WTO को कमजोर किया गया
  • अमेरिका में उपभोक्ता वस्तुओं के दाम बढ़े
  • देशों के बीच रिश्तों में तनाव
  1. राजनयिक बातचीत: भारत सरकार अमेरिका के साथ उच्च स्तरीय वार्ता कर सकती है ताकि टैरिफ को रोका जा सके।
  2. वैकल्पिक बाजार: भारत अन्य देशों जैसे यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के साथ व्यापार को बढ़ा सकता है।
  3. मेक इन इंडिया को बढ़ावा: घरेलू उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भरता को और मज़बूती दी जा सकती है।

  • अर्थशास्त्री कहते हैं, “अमेरिका के इस कदम से शुरू में झटका लग सकता है लेकिन भारत अपनी नीति में बदलाव कर इसका जवाब दे सकता है।”
  • व्यापारिक संगठन मानते हैं, “ये एक व्यापारिक रणनीति है और इसका असर सीमित समय तक रहेगा।”

डोनाल्ड ट्रंप की संभावित टैरिफ नीति भारत के लिए एक चुनौती है, लेकिन इसे अवसर में बदला जा सकता है। भारत को सतर्क रहकर वैकल्पिक रणनीति अपनानी होगी ताकि वैश्विक व्यापार में उसकी भूमिका बनी रहे।

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